Sunday, November 29, 2009

ईश्क का जो मैंने तुमसे मतलब पूछ लिया मेरे हुजूर


ईश्क का जो मैंने तुमसे मतलब पूछ लिया मेरे हुजूर,
कर दी क्या कोई गुस्ताखी जो हो गया इतना गुरुर.

ख्वाब दिल्लगी के अब आते मुझे हर शामो-सहर,
बेखुदी और तड़पते दिल का ईलाज बताईयेगा ज़रूर.

आँखे खुली हो या हो बंद इनके कोई ना मायने रहे,
अंग-अंग पे जो है सवार वो है आपकी चाहत का सुरूर.

बता तो दो इन नजरो में क्या ईश्क के तीर छिपे है,
जो हो गया दिल अपनी सल्तनत हारने को मजबूर.

अब खता हो गयी तो लेनदेन की शुरुआत हो जाये,
रूह के अल्फास बनो तुम यही इस सौदे का दस्तूर.

लैला मजनू के ईश्क के किस्से आपने सुने होंगे,
भर दो अपनी हामी हम भी ज़रा हो जाये मशहूर.

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