Wednesday, November 04, 2009

तुम फिर से आओ..


मेरे ख्वाहिशों के आसमा में छायी धुंध की चादर फिर से हटाओ,
कब से हू प्यासा, आकर तुम फिर मेरी प्यास बुझाओ.
मेरे तपिश भरे दामन को सकू दे जाओ फिर से तुम काली घटाओ,
मेरे गम का ढेर बहुत बढ़ गया, आकर तुम जरा इन्हे बटाओ.

खुश्बुओ की हवा न चली बीते बरसो, बहा दो बयार गुलशन को महकाओ,
आगन सुनसान सुरिली साज़ न बजी, गीत गुनगुनाओ आशियाना चहकाओं.
भूला दिल ईश्क की रूमानियत, बहारो को खिलाओ मुझे फिर बहकाओ,
छुप गया सूरज मुक्कदर का, सितारों से तुम मेरी तन्हा रात चमकाओ.

नजरो की बेकरारी की आग बुझाओ, बस कुछ पल फिर मेरे साथ बिताओ,
फिर इस जिस्म में साँस डाल जाओ, अपनी अदाओ से मुझको सताओ.
वो सुने हुये पुराने नगमे फिर तुम गाओ, फिर से वो पुराना जावेदा प्यार जताओ,
मै हू बहुत अकेला, मुझे तुम मेरी मंजिल तक पहुचाओ.

2 comments:

  1. नजरो की बेकरारी की आग बुझाओ, बस कुछ पल फिर मेरे साथ बिताओ,
    फिर इस जिस्म में साँस डाल जाओ, अपनी अदाओ से मुझको सताओ.
    वो सुने हुये पुराने नगमे फिर तुम गाओ, फिर से वो पुराना जावेदा प्यार जताओ,
    मै हू बहुत अकेला, मुझे तुम मेरी मंजिल तक पहुचाओ.

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