Saturday, October 31, 2009

बदल रही दिशा..


सन्देश एक अपना, कान में कह गयी पवन,
स्वर थे मधुर, खिल गया मेरा चितवन.
बदल रहा समय, बदल रही है दिशा,
उग रहा सूरज, बीत रही अंधकार भरी निशा.

कुछ पग और चलो, नये लोगों से नित रोज़ मिलो,
आशाओ के दीप प्रज्वलित करो, बन जाओ ऐसा के सब के दर्द हरो.
बदल रहा रास्ता, बदल रहे है पल,
उज्जवल है भविष्य, है स्वागत को तैयार सुनहरा कल.

हर नम आँख को ख़ुशी मिलेगी, हर घर में हँसी खिलेगी,
इस धरा की किस्मत बदलेगी, वतन की हर राह में खुशहाली की बहार चलेगी.
बदल रहा मानव, बदल रही है घडियाँ,
तीव्र हो रही स्वाभिमान की ज्योति, जुड़ रही मेरे देश की टूटी कड़िया.

हर दर्द हर दुःख से होगी मुक्ति, हम प्राप्त करेंगे अपनी वास्तविक शक्ति,
हमारी आशाये बनेंगी सफलता की सूक्ति, जिंदा होगी फिर वो राख़ बन चुकी देशभक्ति.
बदल रही झूठी कहावत, बढ रही है हमारी महारत,
बन रही एक मजबूत ईमारत, बदल रहा हम सबका भारत.

ये फैले हुये गगन! तू भी देखना हो जा तैयार,
मेरे देश की आभा होगी तेरे से शानदार, अ़ब बह रही इसे मुंकिन करने वाली बयार.
क्योकि बदल रही किस्मत, हो गयी है युद्धभूमी तैयार,
मिटा देंगे हम हर कालिख को, हर किसी के मन में हो गया है परिवर्तन का जूनून सवार.

Friday, October 30, 2009

देखो मेरी कहानी बन गयी..


हर रात व्यर्थ के कल्पनाओ के संगम की कहानी बन गयी,
जिंदगी जैसे चंद लम्हों में ढह गयी, एक निशानी बन गयी.
इन कागज के टुकडों जैसी ना जाने क्यों जवानी बन गयी.
बात क्या हुयी जानू ना, दुनिया की चाहत मुझसे बेगानी बन गयी.

कांच के टुकडों में देखता तस्वीर अपनी, उम्मीद तो जैसे एक बईमानी बन गयी,
चाहू ना चाहू, हर बंधन हर रस्म को निभाना आज जैसे मनमानी बन गयी.
एक-एक दिन गुजरता लगता सफ़र सदियों का, सूरज का ढलना परेशानी बन गयी,
हँस रहा शख्स अंदर का मेरे, उसकी तो महफ़िल जैसे सुहानी बन गयी.

ये दर्द ये सिकन, इनकी सोहबत जैसे मेरी दीवानी बन गयी,
यहाँ हर मोड़ अकेला, हर राह खाली, फितरत कैसी ये इंसानी बन गयी.
मेरे लबों पर हँसी,दिल है सवाली, मंजिल बस मेरी मुहजबानी बन गयी,
बिन स्याही, बिन कागज, देखो ये कैसी मेरी आज कहानी बन गयी.

Thursday, October 29, 2009

उससे पूछना मेरी आखरी निशानी..


दिल के ज़ख्मों को किसी की नजरों का दीदार कराऊ ,
मै क्यों अपनी कहानी का चर्चा महफ़िल में सरेआम कराऊ.
मेरी रूह की प्यास है कितनी प्यासी और अनबुझी,
किसी को इसका तड़पता अहसास क्यों कराऊ.

मेरे दर्द का असर कितना मैंने किया बीते दौर में सहन,
क्यों अपने जिगर के दर्द के निशान खुलेआम दिखाऊ.
मेरे दर्द के असलियत के सबूत सबको वाकिफ कराऊ,
जो बीता है गुज़रे दौर में मेरे साथ वो किस्सा क्यों बताऊ.

एक परछाई को लगाया था गले, उसका रंग कैसे समझाऊ,
मै अपने गमो की टूटी सहनाई, कहा से लाऊ.
आज भी जिंदा है जो राज़ उनको कैसे दफनाऊ,
सुनना चाहते हो जो तुम दास्ता कहा से वो आवाज़ लाऊ.

इश्क के धोखे से रूबरू करा गयी मुझे,
उस से पूछो कहा मिलेगी बेवफा वो हसीं तुझे.
बेवफाई के आयतों से वाकिफ है वो बीती कहानी,
हो सके तो कोशिश करो पढने की मेरी आखरी निशानी.

हा तुम ही वो हो..



लुभावने ख्वाबों का दृश्य दिखाया, मन के एकांत बगीचे में मोहब्बत का फूल खिलाया,
हा तुम ही तो वो पथ प्रदर्शक हो, जिसने मुझे प्रेम का एक-एक अक्षर बताया.
मुझे प्रेम का गीत सिखाया, मेरे मुख पटल पर रौनक का खिला-खिला नूर मिलाया,
हा तुम ही तो वो मार्गदर्शक हो, जिसने मुझे मेरे जीवन का सही मकसद बताया.

कल्पनाओ के विस्तार का रहस्य सिखाया, ह्रदय को प्रीत के निर्मल नीर से नहलाया,
हा तुम ही तो वो शिल्पकार हो, जिसने एक-एक नश्वर ईट से मेरा वजूद बनाया.
मुझे अपनेपन का स्वरूप दिखाया, बेपनाह लगाव की माया का साक्षात्कार कराया,
हा तुम ही तो वो आध्यात्मिक शिक्षक हो, जिसने मुझे आत्मा की परम शक्ति का ज्ञान बताया.

दुनिया के एक-एक पहलू का सार समझाया, ईश्वर की आस्था के चमत्कार का दर्शन कराया,
हा तुम ही तो वो देवदूत हो, जिसने मुझे जीते जी स्वर्ग में होने का अहसास कराया.
मुझे ज्ञान प्राप्ति का साधन बताया, कर्म की शक्ति के अपरिहार्य गुण को मुझ में मिलाया,
हा तुम ही तो वो सुंदर अप्सरा हो, जिसने मुझे प्रेम के गीत लिखना सिखाया.

लुभावने ख्वाबों का दृश्य दिखाया, मन के एकांत बगीचे में मोहब्बत का फूल खिलाया,
हा तुम ही तो वो पथ प्रदर्शक हो, जिसने मुझे प्रेम का एक-एक अक्षर बताया.
मुझे प्रेम का गीत सिखाया, मेरे मुख पटल पर रौनक का खिला-खिला नूर मिलाया,
हा तुम ही तो वो मार्गदर्शक हो, जिसने मुझे मेरे जीवन का सही मकसद बताया.

Wednesday, October 28, 2009

तू क्यों है खामोश आज?


वो राह के पथिक! तू है क्यों खामोश आज?
बोलता नहीं कुछ क्या हुआ तेरे साथ?
झुकी-झुकी सी हैं तेरी नज़रे आज,
नहीं दिखता तेरा वो विश्वास तेरे साथ.

हा मै हू चुपचाप सा टूटा शीसा आज,
लगी है ठोकर छोड़ गया कोई मेरा साथ.
टूटा है मेरे बुने हुए सपनों का आशियाना आज,
छोड़ गया मुझे मेरा साया जो कल था मेरे साथ.

दोस्त ऐसी क्या हुयी अनहोनी आज?
तेरे आसुओ की प्रवाहित धारा तेरे नैनों के पास.
क्या हुयी बात जो उदासी है अब तेरे साथ?
क्या है कारण जो सुख गयी तेरे अरमानों की नदिया आज?

मै चला था प्रीत की वो अनजानी डगर,
पता ना था ये है एक धोखे का सफ़र.
डूब गयी दिल की कश्ती रोने लगी नज़र,
समझा जिसे अपना हमदम, उसी ने दे दिया ज़हर.

Tuesday, October 27, 2009

जो बिछड़ गए वो फिर ना मिले..


उम्र के एक पड़ाव पर वो गया है ठहर,
बीत गयी जिंदगी दे दिया जैसे ज़हर.
सपनो की दुनिया में बरसा है ऐसा कहर,
सुनसानी में बदल गया जीता-जागता शहर.

आहों की सिसकिया आती है हर पहर,
सब्र की आज टूट गयी उसकी नहर.
हर साख को बर्बाद कर रही दर्द की लहर,
तरस रहा ह्रदय किसी की तो हो मेहर.

कदमों के निशान अश्रुवो की वर्षा से धुले,
उसे हर राह में आखिर काँटे ही मिले.
रोज़ नए रास्ते जरुर उसने थे चले,
पर दिन सदैव उसके तन्हा ही ढले.

वफाओं के कहा किसी को मिले है सिले,
क्या कभी पहाड़ भी अपनी जगह से हिले.
रेगिस्तान में कभी फूल नहीं है खिले,
इस दुनिया में जो बिछड़ गए वो फिर ना मिले.

Monday, October 12, 2009

मेरी भी एक प्रीत है...


मेरे गीत, मेरा मनचाहा मीत, मेरी भी एक प्रीत,
मेरे लब, मेरा तनहा साया, मेरा भी एक संगीत.
मुझ में भी मोहब्बत, मुझ में भी धड़कन, दिल नहीं मेरा रकीब,
कर सकू दो बाते, हो सके कुछ चंद मुलाकाते, पर नहीं ऐसा मेरा नसीब.

मेरे दिल में भी एक तस्वीर है, पर जकड़े इसको एक ज़ंजीर है,
ह्रदय आईने के टुकड़े टुकड़े हुए, दोस्त ऐसी कुछ मेरी तक़दीर है.
दिल में दर्द का भारी बोझ लिए, चलता अकेले एक राहगीर है,
कभी ये भी थी खुशियों से भरी भरी, जो आज एक लुटी हुयी जागीर है.

बता दो मुझे होगा अहसान, आखिर क्यों होता है इश्क़ करने वाला वीरान,
क्या है इस पहेली का उत्तर आसन, बता दो क्यों बनता है प्यार का मशीहा ही हैवान.
मेरे दिल को देकर नाईलाज दर्द, कर दी मेरी हर महफ़िल सुनसान,
उजड़ गया मेरे सपनो का शहर, मै कुछ न कर सका बस देखता रहा होकर हैरान.

इश्क़ एक सपना है मेरे लिए, देखी जिसकी मैंने हकीकत है,
सच है ये कुछ नहीं देखता, इसका अपना ही एक मज़हब है.
पर ये एक ऐसी खुबसूरत शक्सियत है, जिसकी अच्छी नहीं सोहबत है,
दोस्त दूर रहना इससे, तुम्हारा चैन सुकून छीन लेगी ये कुछ ऐसी इसकी संगत है.

मेरे गीत, मेरा मनचाहा मीत, मेरी भी एक प्रीत,
मेरे लब, मेरा तनहा साया, मेरा भी एक संगीत.
मुझ में भी मोहब्बत, मुझ में भी धड़कन, दिल नहीं मेरा रकीब,
कर सकू दो बाते, हो सके कुछ चंद मुलाकाते, पर नहीं एसा मेरा नसीब.

Sunday, October 11, 2009

किस ने की दुआ....


एक अदा, एक दुआ, बीत गयी मेरी सदियों की सजा,
पल भर में जाने क्या हुआ, मिल गयी हर दर्द की दवा.
गुज़र रही थी जिंदगी, कट रहा था सफ़र पर नहीं था मज़ा,
किसने दुआ की मेरे लिये ,जो मिल गया मुझे मेरा खुदा.

आँखों में नए सपने, है दिल में नयी-नयी आशा,
ख़ुशी होती है क्या, समझ आ रही प्रेम की भाषा.
मौसम में है नयी बहार, बहारों से किया मैंने इकरार,
मन में नशा हो गया सवार, जो कबूल किया इन वादियों ने मेरा प्यार.

सुने आशियाने में नयी लहर,देखो खुशबुवो की धारा बह रही,
बस रहा एक नया शहर, हर और होगा ख़ुशी का पहर ये हवा कह रही.
गुज़रा था कभी एक कहर, कब से ये ज़मी थी उसे सह रही,
किसी की तो है मेहर, जो दुखों की ये ईमारत आज ढह रही.

एक अदा, एक दुआ, बीत गयी मेरी सदियों की सजा,
पल भर में जाने क्या हुआ, मिल गयी हर दर्द की दवा.
गुज़र रही थी जिंदगी, कट रहा था सफ़र पर नहीं था मज़ा,
किसने दुआ की मेरे लिये ,जो मिल गया मुझे मेरा खुदा.

Saturday, October 10, 2009

ये तन्हाई..


दिल की तन्हा बस्ती की कहानी है,
दूर दरिया है और प्यास बुझानी है.
कभी होती सुबह एक सुहानी है,
पर रात हमेशा विरहा की बितानी है.

एक पल को ठहर जाती सांसे है,
जब किसी के कदमों की आहट आती है.
मेरे मन में लाती कुछ राहत है,
पर ये तो हवा थी जो दरवाजा खटखटाती है.

इस बगीचे का कोई माली ना सही,
साथ सफर में कोई हमराही ना सही.
जीवन की तो सदा है ये रीत रही,
अकेला है जो सदा उसी की है जीत हुयी.

Friday, October 09, 2009

तुम आना..


कभी हो उदास तो मेरे पास चले आना,
अपने सारे गमों को तुम मुझे दे जाना.
मेरा ये दिल है एक छोटी सी दरिया,
तुम इसमे समां जाना जैसे सागर में नदिया.

महसूस किया है मैंने तन्हाई का बोझिल अहसास,
तुम आना जरुर मुझ पर कर विश्वास.
हर दर्द को लूँगा अपने में पूरा उतार,
दूंगा तुझे वापस तेरे चेहरे का निखार.

ओरों को देना ख़ुशी है मेरा एक उसूल,
आना करीब मेरे इस बेवफा दुनिया को भूल.
करूँगा में तेरा उस पल हमेशा इंतजार,
जिस दिन तू होगा एक तन्हा, परेशा, लाचार.

जब लगी थी ठोकर..


लगी एक ठोकर गिर गया वो शख्स,
रोकने की कोशिश, बह गए उसके अक्स.
जिंदगी को भूल चला था राह, उन दिनों,
मिले एसे घाव, संभलने में लगे महिनों.

गुज़रा उसका वक्त, समझने लगा ये दुनिया,
मिल ही गया उसे सच्चाई का बेरहम आईना.
अब दोबारा चला है वो मंजिल के फतेह का सफ़र,
पर अब नहीं है उसका कोई हमराही, हमसफ़र.

काँटों की राह पे चलके, सिखा है चलना,
वो चाहता नहीं दोबारा गमों से मिलना.
जीना हर लम्हें को उसका है मकसद,
अब पसंद नहीं और दुखों की उसे दस्तक.

पंछियों का सन्देश..


फलक को देखती मेरी ये नजर,
निहारती उड़ते पंछियों का मंजर.
कितनी अच्छी है ये इनकी किस्मत,
क्या नहीं रहती इनको कभी फुरसत?

बोलते है इनके फैले हुए पर,
जीत लेंगे ये हर एक सफ़र.
रहते है ये अक्सर खामोश,
ज़माने में बोलते इनके हुनर रोज़.

उड़ते है ये देकर संदेश,
नहीं इनका कोई एक देश.
इनका है पूरा अम्बर अपना,
हमारे लिये है जो एक सपना.

इनके बीच नहीं सीमाओ का बटवारा,
कहते है ये, संसार है हमारा.
इन्सान को है ये रोज़ समझाते,
क्यों हो आखिर तुम सियासत अपनाते?

गुजरता सफ़र..


उम्र गुज़र जायेगी कुछ अरसे बाद,
बस बाकि रह जायेगी तब केवल तेरी याद.
किसकी रही पकड़ ये है गुजरता वक्त,
अपना सफ़र बिताएगा यहाँ हर एक शख्स.
जो मिले कोई तन्हा मुकाम मुझे,
मै पूरी सिददत से जिऊंगा उसे.
बड़ी मुद्तो के बाद आते है कुछ पल,
नहीं पता क्या होगा आने वाला कल.
काश एक प्यार का मसीहा आ जाये,
कुछ दिन मेरे साथ का गवाह बन जाये.
मै तो हू इस बीतते सफर का गवाह,
ये गुज़रे चैन से मुझे नहीं जन्नत के चाह.