Monday, November 16, 2009

सनम बना लिया..



मोहब्बत को जिंदगी का सुरीला गीत बना दिया,
मैंने अपनी हर हार को जीत बना लिया.
हर अदा हर खता को मैंने संगीत बना लिया,
हर दर्द हर सजा को आज अपना मीत बना लिया.

काँटे हो गये हैरान उनको जो अपना अज़ीज़ बना लिया,
देखो मैंने अपनी दिल्लगी को अपना नसीब बना लिया.
जो थी मीलों दूर उस हँसी को करीब बुला लिया,
आखिर हर ज़ख्म हर दर्द को मैंने आज रकीब बना लिया.

टूट चुके ख्वाबों को समेटकर अपना कदम बना लिया,
राह की ठोकरों से दिल लगा उन्हें हमदम बना लिया.
जब से उस अनजाने साये को अपना सनम बना लिया,
हर सितम से मिलती है ख़ुशी कैसा ये वहम बना लिया.

मेरी तन्हाईयो ने अब नया एक गुलशन बना लिया,
फिर सावन को बुला खुशनुमा आगन बना लिया.
मैंने तो कब्र से निकल घूमी दुनिया ऐसा जनम बना लिया,
ए आँसू ए सिकन तुम्ही हो मेरे, तुम्हें अब अपना सनम बना लिया.

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