Wednesday, November 25, 2009

हर शख्स को उसकी आरजू सा यहाँ प्यार नहीं मिलता


हर शख्स को उसकी आरजू सा यहाँ प्यार नहीं मिलता,
दिल को तलाश हो जिसकी वो करार नहीं मिलता.

कितने आबाद हुये, यहाँ न जाने कितने बर्बाद हुये,
पर हर किसी को उसकी हसरतों सा दीदार नहीं मिलता.

चाहते है सब आशियाने में हो जाये ईश्क की इशरत,
पर हर किसी को उसकी मोहब्बत का इज़हार नहीं मिलता.

अपनी अहद तो यहाँ हर कोई आशिक निभाता आया है,
खुदा से बढकर चाहे जिसे जाने क्यों वो दिलदार नहीं मिलता.

ऐतबार करो मेरा एक अज़ाब का ये बेरहम सा सफ़र है,
दुस्वार है मंजिल, यहाँ लुफ्त का इकरार नहीं मिलता.

3 comments:

  1. yahi sach hai jeevan ka ... bahut khoob likha hai

    aise hi likhte raho

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  2. waaah waaah bahut khooob ....sahi kaha aapne ...
    keep writing....good luck 4 ur future

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