Saturday, November 28, 2009

तन्हाई है तो क्या हुआ शहर में मैखाने बहुत है


तन्हाई है तो क्या हुआ शहर में मैखाने बहुत है,
गम को ज़रा भूला लू जिनमे ऐसे पैमाने बहुत है.

अपने प्यार का बखान करे हर मुलाकात में,
इस शहर में ऐसे बहलाने वाले दीवाने बहुत है.

कभी खत्म नहीं होती अलफासो की रवानगी,
इस शख्स के पास बयानगी के फ़साने बहुत है.

अभी तो सूरज के चढ़ने का सफ़र शुरू हुआ है,
दुनिया में अभी महफिलों के रंग सजाने बहुत है.

एक जमात है इस दिल में खुबसूरत नज्मों की,
ज़माने को ईश्क के नशे के किस्से सुनाने बहुत है.

बहुत सूखे पत्ते बिखरे है मेरे वीरान आशियाने में,
वक्त है कम दर्द के पुराने निशान जलाने बहुत है.

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