Monday, November 09, 2009

बहुत आँसू तेरे बह गए..


रात अब बीत चुकी, आज फिर बहुत आँसू तेरे बह गये,
इस मतलबी दुनिया में, अब और कौन तेरे रह गये.
जब कभी तेरे आँसू गिरे, दर्द ओ गम हम सह गये,
आवाज़ तेरी जब भी उदास हुयी, खून के आँसू मेरे बह गये.

तेरी राहों में तुझे मिले काँटे, जख्म तेरे मुझ से कह गये,
शाम को थी तुम तन्हा, वीरानियों के सितम मुझ पे ढह गये.
जब कभी मैंने नगमे लिखे, पन्ने तेरी आहों से रंग गये,
उठा जब भी, कदम बढ़े, तेरे दर्द के साये मेरे संग गये.

माना राह में बेवफाई के घाव मिले, खामोश तुझे कर गये,
प्रीत की राह के ठोकर खाये, तन्हा मुसाफिर तुम रह गये.
सुन सको आवाज़ तो, मेरे हर लब्ज़ तुमसे कह गये,
क्या तुम्हारी गुजरी राहों के नग्मे ही, मेरे लिए अब रह गये.

तेरी सिसकियों की आह सुनी, क्या बताऊ कैसे हम सह गये,
ज़हर का था जैसे एक घूट मेरे लिए, तेरे जो आँसू बह गये.
पास था दरिया रहा मै प्यासा, फिर भी इसे हम सह गये,
मुक्कदर से मिलता इश्क ए दोस्त, कुछ ऐसा हवा के झोंके कह गये.

2 comments:

  1. wah!waah!! bahut pyaari rachna lucky
    muqadder se milta ishq ae dost
    kuchh aisa hawa ke jhonke keh gaye

    tarif ke liye shabd nahi mil rahe
    really very nicee!

    ReplyDelete
  2. वाह वाह !!! क्या खूब लिखा है आपने ....बहुत ही दिल से लिखी है भाई...!मेरी शुभकामनायें..

    ReplyDelete