Wednesday, November 25, 2009

मुझे जीस्त ओ जिल्लत का सामान मिला है


मुझे जीस्त ओ जिल्लत का सामान मिला है,
सितम और आंसुओ का जो दर्दभरा ईनाम मिला है.

एक-एक जुम्बिश पर दर्द की शमशीर लटकी है जैसे,
दुनिया कहती है मुझे मोहब्बत का गुमान मिला है.

एक बयाबान सी है ये मेरी तनहा और अकेली जिंदगी,
हर मोड़ पर हिज्र और रंजिश का सदा मक़ाम मिला है.

मेरे दिल से आहों की आवाज़ निकलती शब ओ शाम,
कहा बेवफा दुनिया में मुझे ईश्क का इंतजाम मिला है.

मेरी हर हर्फ़ ओ दुआ में एक फरियाद है खुदा से,
पर बदले में मुझे हर एक मंज़र यहाँ वीरान मिला है.

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