Friday, December 04, 2009

एक तेरा ही चेहरा जो छाया है मेरे ख्वाबों में


एक तेरा ही चेहरा जो छाया है मेरे ख्वाबों में,
नज़र आये तू ही तू मुझे अब मेरी किताबों में.

ज़माने के दौर बदले यारों मेरा भी वक्त बदला,
तेरा ही दीदार ईश्क के मैखाने की शराबों में.

बाते करू अपने मालिक से अब तो तेरी ही,
तेरे ही नाम का इज़हार मेरे सब जवाबों में.

ज़रा बता दे मुझे क्या देखू क्या ना देखू,
तू ही तू नज़र आये इस बहार के सबाबो में.

कर दिया गुनाह हम भी ईश्क के मरीज़ बने,
करने लगा अपनी गिनती मै भी अब खराबों में.

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