Thursday, December 03, 2009

क्या बताये खुदा ने मुझे कैसा ईनाम दिया है



क्या बताये खुदा ने मुझे कैसा ईनाम दिया है,
तुमसे मिला कर पूरा जन्नत का अरमान किया है.

तस्सवुर की गिरानी तस्वीर थी जो दिल में,
खुदा ने उसको थमा खुशियों को अंजाम दिया है.

कैसा दौर ए वक्त आ गया मैं बहकने लगा हूँ,
उसके ईश्क पे खुद को फ़ना हर शाम किया है.

उसके लबों से निकली दिल को छू गयी हर सदा,
क्या बताये उसने दिल को कैसा आराम दिया है.

बरसने लगे बादल पर नहीं मौसम सावन का,
दिल की लगी ने आज फिर काम तमाम किया है.

अदा क्या बया करू जन्नत की सहजादी वो,
उसकी फिजा को देख दिलरुबा उसे नाम दिया है.

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