उम्र के एक पड़ाव पर वो गया है ठहर,
बीत गयी जिंदगी दे दिया जैसे ज़हर.
सपनो की दुनिया में बरसा है ऐसा कहर,
सुनसानी में बदल गया जीता-जागता शहर.
आहों की सिसकिया आती है हर पहर,
सब्र की आज टूट गयी उसकी नहर.
हर साख को बर्बाद कर रही दर्द की लहर,
तरस रहा ह्रदय किसी की तो हो मेहर.
कदमों के निशान अश्रुवो की वर्षा से धुले,
उसे हर राह में आखिर काँटे ही मिले.
रोज़ नए रास्ते जरुर उसने थे चले,
पर दिन सदैव उसके तन्हा ही ढले.
वफाओं के कहा किसी को मिले है सिले,
क्या कभी पहाड़ भी अपनी जगह से हिले.
रेगिस्तान में कभी फूल नहीं है खिले,
इस दुनिया में जो बिछड़ गए वो फिर ना मिले.
waaaaaw lucky ji really tuchy ..dr88888
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