Wednesday, October 28, 2009

तू क्यों है खामोश आज?


वो राह के पथिक! तू है क्यों खामोश आज?
बोलता नहीं कुछ क्या हुआ तेरे साथ?
झुकी-झुकी सी हैं तेरी नज़रे आज,
नहीं दिखता तेरा वो विश्वास तेरे साथ.

हा मै हू चुपचाप सा टूटा शीसा आज,
लगी है ठोकर छोड़ गया कोई मेरा साथ.
टूटा है मेरे बुने हुए सपनों का आशियाना आज,
छोड़ गया मुझे मेरा साया जो कल था मेरे साथ.

दोस्त ऐसी क्या हुयी अनहोनी आज?
तेरे आसुओ की प्रवाहित धारा तेरे नैनों के पास.
क्या हुयी बात जो उदासी है अब तेरे साथ?
क्या है कारण जो सुख गयी तेरे अरमानों की नदिया आज?

मै चला था प्रीत की वो अनजानी डगर,
पता ना था ये है एक धोखे का सफ़र.
डूब गयी दिल की कश्ती रोने लगी नज़र,
समझा जिसे अपना हमदम, उसी ने दे दिया ज़हर.

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