Sunday, October 11, 2009

किस ने की दुआ....


एक अदा, एक दुआ, बीत गयी मेरी सदियों की सजा,
पल भर में जाने क्या हुआ, मिल गयी हर दर्द की दवा.
गुज़र रही थी जिंदगी, कट रहा था सफ़र पर नहीं था मज़ा,
किसने दुआ की मेरे लिये ,जो मिल गया मुझे मेरा खुदा.

आँखों में नए सपने, है दिल में नयी-नयी आशा,
ख़ुशी होती है क्या, समझ आ रही प्रेम की भाषा.
मौसम में है नयी बहार, बहारों से किया मैंने इकरार,
मन में नशा हो गया सवार, जो कबूल किया इन वादियों ने मेरा प्यार.

सुने आशियाने में नयी लहर,देखो खुशबुवो की धारा बह रही,
बस रहा एक नया शहर, हर और होगा ख़ुशी का पहर ये हवा कह रही.
गुज़रा था कभी एक कहर, कब से ये ज़मी थी उसे सह रही,
किसी की तो है मेहर, जो दुखों की ये ईमारत आज ढह रही.

एक अदा, एक दुआ, बीत गयी मेरी सदियों की सजा,
पल भर में जाने क्या हुआ, मिल गयी हर दर्द की दवा.
गुज़र रही थी जिंदगी, कट रहा था सफ़र पर नहीं था मज़ा,
किसने दुआ की मेरे लिये ,जो मिल गया मुझे मेरा खुदा.

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