Thursday, October 29, 2009

हा तुम ही वो हो..



लुभावने ख्वाबों का दृश्य दिखाया, मन के एकांत बगीचे में मोहब्बत का फूल खिलाया,
हा तुम ही तो वो पथ प्रदर्शक हो, जिसने मुझे प्रेम का एक-एक अक्षर बताया.
मुझे प्रेम का गीत सिखाया, मेरे मुख पटल पर रौनक का खिला-खिला नूर मिलाया,
हा तुम ही तो वो मार्गदर्शक हो, जिसने मुझे मेरे जीवन का सही मकसद बताया.

कल्पनाओ के विस्तार का रहस्य सिखाया, ह्रदय को प्रीत के निर्मल नीर से नहलाया,
हा तुम ही तो वो शिल्पकार हो, जिसने एक-एक नश्वर ईट से मेरा वजूद बनाया.
मुझे अपनेपन का स्वरूप दिखाया, बेपनाह लगाव की माया का साक्षात्कार कराया,
हा तुम ही तो वो आध्यात्मिक शिक्षक हो, जिसने मुझे आत्मा की परम शक्ति का ज्ञान बताया.

दुनिया के एक-एक पहलू का सार समझाया, ईश्वर की आस्था के चमत्कार का दर्शन कराया,
हा तुम ही तो वो देवदूत हो, जिसने मुझे जीते जी स्वर्ग में होने का अहसास कराया.
मुझे ज्ञान प्राप्ति का साधन बताया, कर्म की शक्ति के अपरिहार्य गुण को मुझ में मिलाया,
हा तुम ही तो वो सुंदर अप्सरा हो, जिसने मुझे प्रेम के गीत लिखना सिखाया.

लुभावने ख्वाबों का दृश्य दिखाया, मन के एकांत बगीचे में मोहब्बत का फूल खिलाया,
हा तुम ही तो वो पथ प्रदर्शक हो, जिसने मुझे प्रेम का एक-एक अक्षर बताया.
मुझे प्रेम का गीत सिखाया, मेरे मुख पटल पर रौनक का खिला-खिला नूर मिलाया,
हा तुम ही तो वो मार्गदर्शक हो, जिसने मुझे मेरे जीवन का सही मकसद बताया.

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