दिल की तन्हा बस्ती की कहानी है,
दूर दरिया है और प्यास बुझानी है.
कभी होती सुबह एक सुहानी है,
पर रात हमेशा विरहा की बितानी है.
एक पल को ठहर जाती सांसे है,
जब किसी के कदमों की आहट आती है.
मेरे मन में लाती कुछ राहत है,
पर ये तो हवा थी जो दरवाजा खटखटाती है.
इस बगीचे का कोई माली ना सही,
साथ सफर में कोई हमराही ना सही.
जीवन की तो सदा है ये रीत रही,
अकेला है जो सदा उसी की है जीत हुयी.
too too toooo good lucy ji ....keep it up ..with best wishes......
ReplyDeletevandana
This comment has been removed by the author.
ReplyDeletevery nice bro ... weldone.. true.
ReplyDeletegud friend nice poem...
ReplyDeleteheart touching bro..
ReplyDeletebahut sunder kafi aacha likha hai lucky.
ReplyDeletekafi aachi rahcna hai lukcy.. keep it up dear..
ReplyDelete