हर शख्स को उसकी आरजू सा यहाँ प्यार नहीं मिलता,
दिल को तलाश हो जिसकी वो करार नहीं मिलता.
कितने आबाद हुये, यहाँ न जाने कितने बर्बाद हुये,
पर हर किसी को उसकी हसरतों सा दीदार नहीं मिलता.
चाहते है सब आशियाने में हो जाये ईश्क की इशरत,
पर हर किसी को उसकी मोहब्बत का इज़हार नहीं मिलता.
अपनी अहद तो यहाँ हर कोई आशिक निभाता आया है,
खुदा से बढकर चाहे जिसे जाने क्यों वो दिलदार नहीं मिलता.
ऐतबार करो मेरा एक अज़ाब का ये बेरहम सा सफ़र है,
दुस्वार है मंजिल, यहाँ लुफ्त का इकरार नहीं मिलता.
तुम बस रूह से हमें अपनाने लगो
14 years ago
yahi sach hai jeevan ka ... bahut khoob likha hai
ReplyDeleteaise hi likhte raho
waaah waaah bahut khooob ....sahi kaha aapne ...
ReplyDeletekeep writing....good luck 4 ur future
bahut aachi rachan....
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