न रहा शिकवा कभी किस्मत की बेवफाई का,
न ही कोई गिला मेरे रहबर की जुदाई का.
छोड़ गया साथ मेरा तो क्या हुआ,
आज भी महकता है चेहरा उसकी वफाई का.
मेरी रूह से उसका नाता सदियों पुराना,
भला कैसे होगा अहसास बोझिल तन्हाई का.
न मेरा कोई हमपेशा न कोई हमराज़,
क्या करूँगा लेकर उधार किसी की दुहाई का.
बस जब तक जिऊ उसकी यादों के साथ रहू,
नहीं वहशत कहने में क्या करूँगा खुदाई का.
तुम बस रूह से हमें अपनाने लगो
14 years ago
bahut pyaare ehsaas byan kiye very nicee
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