सन्देश एक अपना, कान में कह गयी पवन,
स्वर थे मधुर, खिल गया मेरा चितवन.
बदल रहा समय, बदल रही है दिशा,
उग रहा सूरज, बीत रही अंधकार भरी निशा.
कुछ पग और चलो, नये लोगों से नित रोज़ मिलो,
आशाओ के दीप प्रज्वलित करो, बन जाओ ऐसा के सब के दर्द हरो.
बदल रहा रास्ता, बदल रहे है पल,
उज्जवल है भविष्य, है स्वागत को तैयार सुनहरा कल.
हर नम आँख को ख़ुशी मिलेगी, हर घर में हँसी खिलेगी,
इस धरा की किस्मत बदलेगी, वतन की हर राह में खुशहाली की बहार चलेगी.
बदल रहा मानव, बदल रही है घडियाँ,
तीव्र हो रही स्वाभिमान की ज्योति, जुड़ रही मेरे देश की टूटी कड़िया.
हर दर्द हर दुःख से होगी मुक्ति, हम प्राप्त करेंगे अपनी वास्तविक शक्ति,
हमारी आशाये बनेंगी सफलता की सूक्ति, जिंदा होगी फिर वो राख़ बन चुकी देशभक्ति.
बदल रही झूठी कहावत, बढ रही है हमारी महारत,
बन रही एक मजबूत ईमारत, बदल रहा हम सबका भारत.
ये फैले हुये गगन! तू भी देखना हो जा तैयार,
मेरे देश की आभा होगी तेरे से शानदार, अ़ब बह रही इसे मुंकिन करने वाली बयार.
क्योकि बदल रही किस्मत, हो गयी है युद्धभूमी तैयार,
मिटा देंगे हम हर कालिख को, हर किसी के मन में हो गया है परिवर्तन का जूनून सवार.
hmmm .... taarif ke liye shabd nahi mill rahe itna achha likha hai
ReplyDeleteso nice dear so loving words
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