फलक को देखती मेरी ये नजर,
निहारती उड़ते पंछियों का मंजर.
कितनी अच्छी है ये इनकी किस्मत,
क्या नहीं रहती इनको कभी फुरसत?
बोलते है इनके फैले हुए पर,
जीत लेंगे ये हर एक सफ़र.
रहते है ये अक्सर खामोश,
ज़माने में बोलते इनके हुनर रोज़.
उड़ते है ये देकर संदेश,
नहीं इनका कोई एक देश.
इनका है पूरा अम्बर अपना,
हमारे लिये है जो एक सपना.
इनके बीच नहीं सीमाओ का बटवारा,
कहते है ये, संसार है हमारा.
इन्सान को है ये रोज़ समझाते,
क्यों हो आखिर तुम सियासत अपनाते?
very nice and simple dost.. keep it up..
ReplyDeletenice gud massage.. i like it dost..
ReplyDeletenice felling of word.. haha.. but i like it very much..
ReplyDeletewaaaaw its realy nic poetry
ReplyDeletevery gud bro...
ReplyDeletevery gud,,.... nice..
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