तू कह दे गर तो हम हर साख पर तेरा नाम लिख आयेंगे,
होता है ईश्क क्या हम दुनिया को इसका मतलब समझायेंगे.
ज़रूरत नहीं कोई यादगार बनाने की मुझे ए हमसफ़र,
याद करेगा ये ज़माना कुछ ऐसे जावेदा निशा छोड़ जायेंगे.
मेरे खून का कतरा-कतरा बह जायेगा तेरी ही तमन्ना में,
मर के भी जो न मरे हम रिश्तों की वो किताब लिख जायेंगे.
अपनी हर सदा में तेरी सरफरोशी का ज़ज्बा उतार दूंगा,
तेरी आरजू को हासिल कर मोहब्बत के गीत रोज़ गायेंगे.
क्या ज़रूरत फूलों की क्या ज़रूरत चाँद सितारों की हमे,
इस जहा को ईश्क की रूमानियत के अहसासों से सजायेंगे.
इस सफ़र में काँटों और ठोकरों का साया है तो क्या हुआ,
इस दर्द और सिकन को हम प्यार के ज़ज्बे से रूबरू करायेंगे.
तुम बस रूह से हमें अपनाने लगो
14 years ago
No comments:
Post a Comment